तरावीह की नमाज रमजान के पाक महीने में पढ़ी जाने वाली एक ख़ास नमाज है, जो इस्लाम में बहुत जरुरी है। यह नमाज रात (इशा) के बाद पढ़ी जाती है और इसमें कुरान की तिलावत (पाठ) की जाती है। तरावीह की नमाज का सवाब (पुण्य) बहुत अधिक है, और इसकी शुरुआत पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के जमाने से हुई है और हजरत उमर (रजियल्लाहु अन्हु) के जमाने में जमाअत के साथ पढ़ने की शुरुआत हुई ।
तरावीह की नमाज पढ़ने से गुनाह माफ होते हैं, जन्नत में ऊंचा मकाम मिलता है, और कुरान सुनने का सवाब मिलता है। इसलिए, हर मुसलमान को रमजान में तरावीह की नमाज पढ़ने की कोशिश करनी चाहिए। आइए, तरावीह की नमाज के सवाब, इतिहास और महत्व को कुरान और हदीस की रोशनी में समझते हैं।
1. तरावीह की नमाज का सवाब
पूरी रात की इबादत का सवाब
पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमाया: “जो कोई ईमान और इख्तिसास (इनाम की उम्मीद) के साथ रमजान में क़ियाम (तरावीह) करता है, उसके पिछले सारे गुनाह माफ कर दिए जाते हैं।” (सहीह बुखारी)
यह हदीस बताती है कि तरावीह की नमाज पढ़ने वाले को पूरी रात की इबादत का सवाब मिलता है।
जन्नत हासिल करना
तरावीह की नमाज पढ़ने वाले के लिए जन्नत में ऊंचा मकाम होगा। पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमाया: “जो रमजान में ईमान और इख्तिसास के साथ क़ियाम करता है, उसके पिछले सारे गुनाह माफ कर दिए जाते हैं।” (सहीह बुखारी)
2. तरावीह की नमाज की तारीख़
पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के जमाने में शुरुआत
तरावीह की नमाज की शुरुआत पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के जमाने में हुई थी। पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने रमजान की रातों में नमाज पढ़ी और लोगों को भी इसमें शामिल होने के लिए हौसला अफ़ज़ाई किया।
हदीस में आता है: “पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने रमजान की एक रात में नमाज पढ़ी, और लोग भी उनके साथ नमाज पढ़ने लगे। फिर दूसरी रात में और लोग इकट्ठा हुए, और तीसरी रात में भी। चौथी रात में पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने नमाज नहीं पढ़ी और कहा: ‘मैंने देखा कि तुम लोग इकट्ठा हो गए हो, लेकिन मुझे डर है कि यह तुम पर फर्ज न कर दिया जाए।'” (सहीह बुखारी)
हजरत उमर (रजियल्लाहु अन्हु) के जमाने में जमाअत के साथ पढ़ना
हजरत उमर (रजियल्लाहु अन्हु) के जमाने में तरावीह की नमाज को जमाअत (समूह) के साथ पढ़ने की शुरुआत हुई। हजरत उमर (रजियल्लाहु अन्हु) ने लोगों को एक इमाम के पीछे तरावीह पढ़ने के लिए इकट्ठा किया।
हदीस में आता है: “हजरत उमर (रजियल्लाहु अन्हु) ने लोगों को एक इमाम के पीछे तरावीह पढ़ने के लिए इकट्ठा किया, और यह बहुत अच्छा इंतजाम था।” (सहीह बुखारी)
3.तरावीह की नमाज का तरीका
रकात (रकाअत)
तरावीह की नमाज 20 रकात (रकाअत) होती है, जो 2-2 रकात करके पढ़ी जाती है। हर 4 रकात के बाद थोड़ा आराम किया जाता है, जिसे “तरवीह” कहा जाता है।
कुरान की तिलावत
तरावीह की नमाज में कुरान की तिलावत (पाठ) की जाती है। पूरे रमजान में कुरान को पूरा सुना जाता है
तरावीह पढ़ने का वक़्त
तरावीह की नमाज इशा की नमाज के बाद पढ़ी जाती है, और यह सुबह की नमाज (फज्र) से पहले तक पढ़ी जा सकती है।
4. तरावीह की नमाज के फायदे
गुनाहों की माफी
तरावीह की नमाज पढ़ने से पिछले गुनाह माफ हो जाते हैं। पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमाया: “जो कोई ईमान और इख्तिसास के साथ रमजान में क़ियाम करता है, उसके पिछले सारे गुनाह माफ कर दिए जाते हैं।” (सहीह बुखारी)
जन्नत हासिल करना
तरावीह की नमाज पढ़ने वाले के लिए जन्नत में ऊंचा मकाम होगा।
कुरान सुनने का सवाब
तरावीह में कुरान सुनने से बहुत सवाब मिलता है। पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमाया:
“जो कुरान सुनता है, उसे हर हर्फ़ के बदले सवाब मिलता है।” (सुनन तिर्मिज़ी)
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